अन्तिम विदाई

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एक दिन मन में उथल पुथल चल रही थी इसलिए मैंने सोचा कि कहां जाया जाय। तुरंत ही एक विचार आया कि शमशान घाट चलते हैं और मैंने अपनी साइकल ली और निकल आया हरिद्वार शमशान घाट और यहां पर आके जो नजारा देखा ,उसको आप समझने का प्रयास करिए।